कांग्रेस ने राहुल गांधी को इस बार रायबरेली से क्यों खड़ा किया, अमेठी से टिकट क्यों नहीं दिया?

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि इस सीट से राहुल की मां सोनिया गांधी 2004 से लगातार चुनाव जीतती आई हैं। पार्टी ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि गांधी परिवार के करीबी माने जाने किशोरी लाल शर्मा को अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया गया है। शर्मा गांधी परिवार की गैर-मौजूदगी में इन दोनों चर्चित निर्वाचन क्षेत्रों का काम-काज संभालते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वायनाड से पहले ही चुनाव लड़ रहे राहुल को दूसरी सीट के रूप में अमेठी से क्यों नहीं उतारा गया?

सता रहा है अमेठी से हार का डर?

माना जा रहा है कि कहीं न कहीं कांग्रेस के मन में अमेठी की सीट से राहुल गांधी की जीत को लेकर शंका रही होगी, इसीलिए पार्टी ने उन्हें रायबरेली से उतारने का फैसला किया है। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले तक उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थीं। लेकिन स्मृति ईरानी ने पिछले चुनावों में देश की सबसे बड़ी पार्टी के सबसे मजबूत किलों में से एक अमेठी को फतह कर लिया। इसके बाद से वह अपने लोकसभा क्षेत्र में लगातार जाती रहीं और हाल ही में उन्होंने वहां अपने मकान का गृह प्रवेश भी किया है। इन्हीं सारी बातों को देखते हुए अमेठी से केएल शर्मा को टिकट देने का फैसला किया होगा।

समीकरण में भी फिट बैठते हैं शर्मा

बता दें कि गांधी परिवार के करीबी केएल शर्मा मृदुभाषी, सरल व्यक्तित्व, कुशल मैनेजर और मीडिया की चकाचौंध से दूर रहने वाले शख्स के तौर पर जाने जाते हैं। कांग्रेस के इंटरनल सर्वे में ये बात भी सामने आई थी कि कार्यकर्ता अपनों के बीच से ही कांग्रेसी प्रत्याशी चाहते थे, इसलिए वे भी खुश होंगे। जातीय समीकरण में भी किशोरी लाल फिट बैठते हैं। अमेठी में दलित (26 फीसदी), मुस्लिम (20 फीसदी) और ब्राह्मण (18 फीसदी) का दबदबा है। कांग्रेस को लगता होगा कि जातीय समीकरणों के हिसाब से केएल शर्मा को फायदा हो सकता है। गांधी परिवार ने भरोसा दिया है कि वो प्रचार के काम में किशोरी लाल शर्मा के साथ भरपूर साथ देंगे।

रायबरेली से क्यों लड़ रहे हैं राहुल गांधी?

अमेठी का समीकरण तो समझ में आ गया, अब सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव क्यों लड़ रहे हैं? दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों में रायबरेली ही एक ऐसी सीट थी, जिसे कांग्रेस ने यूपी में जीता था। बीजेपी की आंधी में भी रायबरेली का गढ़ सुरक्षित रहा था, ऐसे में कांग्रेस को लग रहा होगा कि इस बार भी राहुल की उम्मीदवारी से उन्हें फायदा हो सकता है। यह अलग बात है कि इलाके के कई दिग्गज कांग्रेसी नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। लेकिन कांग्रेस को कहीं न कहीं लग रहा होगा कि गांधी परिवार के नाम पर, और वह भी राहुल गांधी के नाम पर, रायबरेली की जनता जरूर अपना समर्थन देगी।

दादा- दादी ने भी जीता था रायबरेली से चुनाव

बता दें कि रायबरली की सीट पर न सिर्फ राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी, बल्कि उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके दादा फिरोज गांधी भी कांग्रेस का परचम लहरा चुके हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों के अलावा उनके कई करीबी मित्रों ने भी किया है। रायबरेली की जनता भावनात्मक रूप में नेहरू-गांधी परिवार के काफी करीब रही है, और पार्टी के सबसे बुरे दिनों में भी उसका साथ नहीं छोड़ा है। ऐसे में पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए इससे सुरक्षित सीट शायह ही कोई और हो सकती है। माना जा रहा है कि इसी वजह से इस सीट से राहुल गांधी के नाम का ऐलान किया गया है।

 

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